Bījaka

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1968 - 579 páginas

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Términos y frases comunes

अनुमान अनेक अपने अब अरे आत्मा आदि आप इस ईश्वर उपदेश एक ऐसा और कछु कबीर करके करते करना करने करे कर्म कल्पना कहते हैं कि कहहिं कबीर कहा कहाँ कहिये कहीं काम काल किया की के कैसे को कोई कौन क्या गया गये गुरु कहते हैं गुरुवा घर जग जगत् जब जहाँ जाना जाय जीव जीवको जैसा जो ज्ञान टीका गुरुमुख तब तहाँ ताको ताते तामें तीन तुम तू तो दुःख देखो देह धोखा नहिं नहीं ना नाना नाम पर परंतु परन्तु परे पाँच पारख पुराण पैदा प्रकार प्रकारसे प्राप्त फिर बहुत बानी बिना ब्रह्म भई भया भये भास भी मन माया मिथ्या में मैं यह ये अर्थ योग रमैनी रहा रहे राम रूप लगा लगे लोग वास्ते विचार विषय विष्णु वेद शब्द संपूर्ण संसार सकल सब साखी सुख से सो सोई स्त्री हम ही हुआ हुवा हे है औ हो होके होता है होय हौं

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